राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरी राजगुरु था | राजगुरु एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | राजगुरु का नाम भारत के ऐसे वीर क्रांतिकारियों के नामों के साथ लिया जाता है , जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी थी | राजगुरु का जन्म एक देशस्थ ब्राह्मण परिवार में हुआ था | राजगुरु ने बचपन से ही शाही ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भारत और उसकी जनता पर हो रहे क्रूर अत्याचारों को अपने आँखों से देखा था | आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शहीद राजगुरु के बार में अनेक महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे |
स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु की जीवनी –
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 में पुणे के पास खेड़ नामक गांव (वर्तमान में राजगुरु नगर) में एक देशस्थ ब्राह्मण परिवार में हुआ था | जब राजगुरु मात्र 6 साल के थे उस समय इन्होने अपने पिता को खो दिया | अपने पिता की मृत्यु के बाद राजगु विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने वाराणसी आ गये थे | वाराणसी आने के बाद राजगुरु ने हिन्दू धर्म – ग्रंथो के अध्ययन के साथ बहुत ही कम समय में लघु सिद्धान्त कौमुदी जैसे कठिन ग्रन्थ को भी पूरा याद कर लिया कर लिया |
नाम राजगुरु
पूरा नाम शिवराम हरी राजगुरु
जन्म 24 अगस्त 1908 में पुणे के पास खेड़ नामक गांव (वर्तमान में राजगुरु नगर)
मृत्यु 23 मार्च 1931 (23 वर्ष), लाहौर(पाकिस्तान )
जिस समय राजगुरु वाराणसी में विद्याध्ययन कर रहे थे , उसी समय उनका संपर्क अनेक क्रांतिकारियों से हो गया | वाराणसी में विद्याध्ययन के दौरान ही राजगुरु चंद्र शेखर आजाद से इतने प्रभावित हो गए की वो तत्काल ही चंद्र शेखर आजाद की पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से जुड़ गए | जिस समय राजगुरु चंद्र शेखर आजाद की पार्टी से जुड़े उस समय इनकी उम्र मात्र 16 साल की थी | इसी पार्टी में आने के बाद राजगुरु की मुलाकात भगत सिंह और सुखदेव से हुई और धीरे – धीरे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु के बीच गहरी दोस्ती हो गयी | राजगुरु को एक अच्छा निशानेबाज भी माना जाता था |
अक्टूबर सन 1928 में सुखदेव ने साइमन कमीशन के विरोध में ब्रिटिश पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करते हुए देखा था , जिसमें सबसे अनुभवी नेता लाल लाजपत राय बहुत बुरी तरह से घायल हो गए थे | यही कारण था कि मार – पीट और चोट खाने के कारण प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटिश पुलिस के सामने अपने घुटने टेक दिए, जिस कारण क्रातिंकारियों के दिलों में बदला लेने का प्रतिशोध पैदा हो गया |
पुलिस अधीक्षक जे. पी. सॉन्डर्स की हत्या –
इसके बाद सन 8 दिसंबर 1928 को, फिरोजपुर, लाहौर में एक योजनाबद्ध तरीके से राजगुरु , सुखदेव और भगत सिंह ने एक पुलिस अधीक्षक जे. पी. सॉन्डर्स की हत्या कर दी | पुलिस अधीक्षक की हत्या करने के बाद तीनो वीर क्रांतिकारी लाहौर में DAV कॉलेज के होस्टल में जा छुपे | कुछ क्षणों तक वहा रहने के पश्चात तीनो क्रांतिकारी अलग – अलग दिशा में चले गये और अलग – अलग स्थान पर जाकर छिप गये | पुलिस अधीक्षक की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर आ गए | यहाँ आने के बाद राजगुरु ने एक आरएसएस कार्यकर्ता के घर में शरण ले ली | नागपुर आने के बाद राजगुरु की मुलाकात डॉ. के.बी. हेडगेवार से भी हुई |
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राजगुरु की मृत्यु –
राजगुरु के नागपुर में होने की खबर अंग्रेज अधिकारीयों को पता चल गयी थी और एक पुणे जाते समय एक यात्रा के दौरान राजगुरु को गिरफ्तार कर लिया गया | गिरफ्तार करने के बाद राजगुरु को दिल्ली के एक जेल में रखा गया था, जहां उनके दो और साथी भगत सिंह और सुखदेव पहले से मौजूद थे | जेल में जाने के बाद ये तीनो क्रांतिकारी शांत नहीं बैठे और इन तीनो ने अपराधियों के साथ जेल में अच्छा व्यवहार नही होने के कारण जेल में ही अनशन शुरू कर दिया | इन तीनो के अनशन का ब्रटिश सरकार पर कोइ असर नहीं पड़ा और अन्तः 23 मार्च सं 1931 को इन तीनो वीर क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गयी | इस प्रकार से भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी शिवराम हरी राजगुरु का अंत हो गया |
राजगुरु को मुख्य रूप से ब्रिटिश राज पुलिस अधिकारी की हत्या में भागीदारी के लिए जाना जाता है | इनकी मृत्यु के बाद भारत सरकार ने इनके सम्मान में इनके जन्मस्थान खेडा गांव का नाम बदलकर राजगुरूनगर कर दिया ,और इसके साथ ही 1953 में हरियाणा के हिसार शहर में शॉपिंग मॉल का नाम भी उनके सम्मान में राजगुरू मार्केट कर दिया गया | अपनी मृत्यु से पहले राजगुरु ने कुछ पंक्तियाँ कही थी –
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा..
अंतिम राय –
आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शहीद राजगुरु के जीवन परिचय के बारे में अनेक जानकारियां दी | जैसे – स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु की जीवनी , पुलिस अधीक्षक जे. पी. सॉन्डर्स की हत्या , आदि
हम आशा करते है की आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जो भी जानकारियाँ दी वो जानकारियाँ आपको पसदं आई होगी | आज आपने इस आर्टिकल के माध्यम से जो भी जानकारी हासिल की उसे आप अपने तक ही सिमित नहीं रखे बल्कि उसे दूसरों तक भी पहुचाएं , जिससे दुसरे लोग भी इसके बारें में जान सकें |
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