जीवन परिचय

रामेश्वरम् मंदिर का इतिहास (Rameshwaram Temple in Hindi)

रामेश्वरम मन्दिर का रोचक इतिहास
Written by Jagdish Pant

रामेश्वरम मन्दिर का रोचक इतिहास

रामेश्वरम तीर्थ भारत के चार घामो  में से एक है यह तमिल नाडु के  रामनाथपुरम जिले  में स्थित है। रामेश्वरम तीर्थ  भारत के प्राचीन मन्दिर मे से एक है| भारत के उत्तर मे  कशीनाथ की जो मान्यता है वही मान्यता दक्षिण के रमेश्वरम तीर्थ की है|   रामेश्वरम तीर्थ बंगाल की खाड़ी के चारो और से घिरा हुआ सुन्दर आकर का महादीप है|  यहा भगवान  श्री  राम ने लंका पर चढ़ाई करने के पूर्व  पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था जिस पर चढ़ाई कर लंका पर विजय प्राप्त की थी| लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद  विभीषण के अनुरोध करने पर  धनुषकोटी नामक स्थान पर सेतु को तोड़ दिया| आज भी  वहाँ 30 मील लम्बी  सेतु के अवशेष सागर में दिखाई देते है| तो दोस्तों आगे भी हम आपको Rameshwaram Temple in Hindi के बारे में महत्वपूर्ण जानकरी देगें

रास्ता

रामेश्वरम तीर्थ जिस स्थन पर मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ था, वहां इस समय ढाई मील चौड़ी एक खाड़ी है। शुरूआत मे इसे पार करने के लिए नाव का इस्तमाल किया जाता था| लेकिन १४८० में चक्रवाती तूफान ने इसे तोड़ दिया था| बाद में कृष्णप्पनायकन नाम के एक राजा ने लगभग चार सौ वर्ष पहले पत्थर का विशाल पुल बनाया था और बाद मे अंग्रेजो के आने के बाद  इस पुल की जगह रेलवे का पुल बनाने पर विचार आया| उस समय तक पुराना पत्थर का पुल लहरों की टक्कर से हिलकर पूरी तरह टूट गया था फिर एक जर्मन इंजीनियर की मदद से उस टूटे पुल का निर्माण करवाया गया|

निर्माण काल

रामेश्वरम् से दक्षिण में कन्याकुमारी  नामक प्रसिद्ध धाम तीर्थ हैं। और यह रत्नाकर से बंगाल की खाड़ी से हिन्द महासागर में मलती है|रामेश्वरम् और सेतु बहुत ही  प्राचीन है। परंतु रामनाथ का मंदिर उतना पुराना नहीं है।  जबकि रामनाथ के मंदिर को बने अभी कुल आठ सौ वर्ष से भी कम हुए है। इस मंदिर के बहुत से भाग पचास-साठ साल पहले के है।

रामेश्वरम का गलियारा दुनिया का सबसे लंबा गलियारा है। यह उत्तर-दक्षिण १९७ मी और पूर्व-पश्चिम १३३ मी. है। यह मंदिर लगभग ६ हेक्टेयर में बना हुआ है।

रामेश्वर मंदिर में विशालाक्षी जी के गर्भ-गृह के निकट ही नौ ज्योतिर्लिंग हैं| कहा जाता है की यह नौ ज्योतिर्लिंग लकापति विभीषण दवारा बनाया गया था  उनसे पता चलता है कि११७३ ईस्वी में श्रीलंका के  राजा पराक्रम बाहु ने मूल लिंग वाले गर्भगृह का निर्माण करवाया था। और इस मन्दिर में केवल शिवलिंग की स्थापना थी देवी की मूर्ति नहीं रखी गई थी, इस कारण वह नि:संगेश्वर का मंदिर कहलाया।

रामेश्वरम मन्दिर का रोचक इतिहास

स्थापना

रामेश्वरम् का मंदिर भारतीय निर्माण-कला और शिल्पकला का एक सुंदर नमूना है। इसके प्रवेश-द्वार चालीस फीट ऊंचा है और मंदिर के अंदर सैकड़ौ विशाल खंभें है रामेश्वरम् के विशाल मंदिर को बनवाने और उसकी रक्षा करने में रामनाथपुरम् नामक छोटी रियासत के राजाओं का बड़ा हाथ था| और तब यह रियासत तमिलनाडु राज्य से मिल गई हैं।

कथा

रामेश्वरम् मन्दिर की कहानी बहुत ही रोचक है कहा जाता है की सीता माता को लंका से छुड़ाने  के लिए राम जी ने लंका पर चढ़ाई की थी।पहले उन्हने सीता माता को छुड़वाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन सरे प्रयत्न फेल हो गये फिर आखरी में युद्ध ही  चुना  इस युद्ध में रावण और उसके सारे  साथी राक्षस मारे गये। रावण भी मारा गया|  और अन्ततः सीताजी को मुक्त कराकर श्रीराम वापस लौटे।और पूरे भारत, दक्षिण  और पूर्व एशिया के कई देशों में हर साल दशहरे  का पर्व मनया जाता है

तीर्थ

रामेश्वरम् शहर और रामनाथजी का प्रसिद्ध मंदिर इस टापू के उत्तर के छोर पर है। और टापू के उत्तर कोने में धनुषकोटि नामक तीर्थ है और यहा बंगाल की खाड़ी  है रामेश्वरम् शहर से करीब डेढ़ मील उत्तर-पूर्व में गंघमादन पर्वत   नाम की एक छोटी-सी पहाड़ी है। और हनुमान जी ने इस पहाड़ी को पार करने के लिए छलांग मारी थी

 

अन्य तीर्थ

देवी मन्दिर

रामेश्वरम् में शिवाजी के मन्दिर के अलावा देवी पार्वती की अलग अलग मूर्ति स्थापित की गई है| और देवी पार्वती की एक मूर्ति पर्वतवर्द्धिनी कहलाती है, दूसरी विशालाक्षी।

सेतु माघव

सेतु माघव मन्दिर रामेश्वरम् का मंदिर है तो शिवजी का, परन्तु उसके अंदर कई देवी  देवता के   मंदिर भी है। और भगवान विष्णु का मंदिर इनमें प्रमुख है।

बाईस कुण्ड

रामेश्वरम मन्दिर में अनेक पवित्र मन्दिर है इसमे तीर्थो  की सख्या २४ है और इसमे २ कुंड सूख गए है और २२  शेष हैं। यहां मीठे जल के कई कुए है  ‘कोटि तीर्थ’ जैसे एक दो तालाब भी है ओर यहा पर स्नान करने के अनेक  पाप का नाश होता है

सीता कुण्ड

रामेश्वरम्  मे कई कुण्ड एसे है जहां स्नान करना पाप-मोचक माना जाता है। पूर्वी द्वार के सामने बना हुआ सीताकुंड इनमें मुख्य है और कहा जाता है की सीता ने अपने आप को  सिद्ध करने के  लिए आग में प्रवेश किया था। सीताजी के ऐसा करते ही आग बुझ गई और अग्नि-कुंड से जल उमड़ आया

रामेश्वरम् शहर

रामेश्वरम् शहर केवल महत्व का तीर्थ ही नहीं, प्राकृतिक सौंदर्य का भी महत्व उनता ही है और दृष्टि से भी दर्शनीय है और यह हमारी प्राचीन काल की सभ्यता को दिखती है और मद्रास से आप रेल-गाड़ी से यात्रा करने पर २२ घंटे लगते है और रास्ते में पामबन स्टेशन पर गाड़ी बदलनी पड़ती है।

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अंतिम राय

दोस्तों हम हमने आपको Rameshwaram Temple in Hindi के बारे में कुछ रोचक बाते बताई  आपको यह लेख कैसा लगा  निचे comment कर के जरुर  बताइए अगर अभी भी  कोई सवाल आप पूछना चाहते हो तो निचे Comment Box में जरुर लिखे| और कोई सुझाव देना चाहते हो तो भी जरुर दीजिये| हमारे Blog को अभी तक अगर आप Subscribe नहीं किये हैं तो जरुर Subscribe करें| जय हिंद, जय भारत, धन्यवाद|

 

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